देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 74 साल के धनखड़ ने अपने इस्तीफे की वजह सेहत ख़राब होना और डॉक्टरों की सलाह बताया है। उन्होंने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत लिया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपना त्यागपत्र सौंपा। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।
राष्ट्रपति और पीएम मोदी को कहा शुक्रिया
धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति मुर्मू के सहयोग और मधुर संबंधों का ज़िक्र करते हुए लिखा:
आपका अटूट समर्थन और हमारे बीच का शानदार रिश्ता मेरे लिए बहुत ख़ास रहा।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद को भी धन्यवाद दिया:

प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है। मैंने अपने कार्यकाल में उनसे बहुत कुछ सीखा।”
सांसदों को मिले प्यार और सम्मान का भी उन्होंने ज़िक्र किया: “माननीय सांसदों से जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा।”
देश की तरक़्क़ी को बताया गर्व का विषय
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा: “भारत की तेज़ आर्थिक प्रगति और बदलावों को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही। यह मेरे जीवन का सम्मानजनक अनुभव रहा।”
पिछले महीने अचानक बिगड़ी थी तबीयत
धनखड़ की तबीयत 5 जून को उत्तराखंड के एक कार्यक्रम में अचानक बिगड़ गई थी। कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे धनखड़ मंच से उतरते वक्त पूर्व सांसद महेंद्र पाल से गले मिलकर भावुक हो गए। कुछ कदम चलने पर उन्हें सीने में तेज़ दर्द हुआ, जिसके बाद उन्हें तुरंत नैनीताल राजभवन ले जाया गया और डॉक्टरों ने जांच की।
इससे पहले भी 9 मार्च 2025 को उन्हें सीने में दर्द के बाद AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था, जहां से 12 मार्च को छुट्टी मिली थी।
जानिए धनखड़ का राजनीतिक और निजी सफ़र
- 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्म
- एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक, पढ़ाई की शुरुआत गांव से हुई
- सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में पढ़ाई, NDA में चयन भी हुआ लेकिन नहीं गए
- राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर LLB किया, जयपुर में वकालत शुरू की
- 1989 में झुंझुनू से लोकसभा सांसद बने और वीपी सिंह व चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे
- 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने
- 6 अगस्त 2022 को 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली
उपराष्ट्रपति के तौर पर धनखड़ राज्यसभा के पदेन सभापति भी थे। अब जब तक नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं होती, उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी निभाएंगे, हालांकि उनका कार्यकाल भी इसी महीने समाप्त हो रहा है।
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