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13-03-2025 Vol 19

IAS Ummul Kher: हिम्मत की मिसाल, जज़्बे की पहचान

टूटा घर, सौतेली माँ, आर्थिक तंगी, 12 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी…
इन सबके बावजूद, एक लड़की ने हार नहीं मानी। उसने झुग्गी से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC पास की और बन गई IAS अफसर!

यह कहानी है उम्मुल खेर की—एक ऐसी लड़की, जिसने मुश्किलों को सीढ़ी बनाया और अपनी तक़दीर खुद लिखी।

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झुग्गी से IAS तक का सफ़र

उम्मुल खेर का जन्म राजस्थान में हुआ, लेकिन परिवार दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन की झुग्गियों में आकर बस गया। उनके पिता फुटपाथ पर सामान बेचते थे। घर की माली हालत खराब थी, ऊपर से Fragile Bone Disorder जैसी गंभीर बीमारी ने उनकी ज़िंदगी और मुश्किल बना दी। यह एक ऐसी बीमारी थी, जिसमें उनकी हड्डियाँ ज़रा-सी चोट से भी टूट जाती थीं।

उम्मुल को बचपन से ही उन्हें पढ़ाई से बेहद लगाव था, लेकिन परिवार की सोच अलग थी। जब उम्मुल सातवीं में थीं, तब उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया, ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च उठा सकें। लेकिन मुश्किलें तब बढ़ गईं, जब परिवार ने आठवीं के बाद उनकी पढ़ाई रोकने का फैसला किया।

घर छोड़ने का फैसला और संघर्ष की शुरुआत

परिवार का विरोध देखकर उम्मुल ने घर छोड़ने का साहसिक फैसला किया। उन्होंने एक छोटे से कमरे में 50 रुपए महीने पर किराए पर रहना शुरू किया और ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई जारी रखी।

उम्मुल का संघर्ष सिर्फ़ आर्थिक नहीं था, उनकी बीमारी भी एक चुनौती थी। ज़िंदगी में उन्होंने कुल 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी झेली। हर नई चोट के साथ दर्द बढ़ता गया, लेकिन उनके इरादे और मज़बूत होते गए।

Exceptional Academic Achievements

💡 10वीं में 91% और 12वीं में 90% अंक हासिल किए।
💡 दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन।
💡 JNU से MA और MPhil की पढ़ाई।
💡 2014 में जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चयन।
💡 JRF (Junior Research Fellowship) पास किया, जिससे आर्थिक स्थिति बेहतर हुई।

UPSC की तैयारी और सफलता

JRF के दौरान उम्मुल ने UPSC की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में 2016 में 420वीं रैंक हासिल कर ली। इस तरह, झुग्गी में रहने वाली लड़की IAS अफसर बन गई.

उम्मुल खेर से क्या सीख सकते हैं?

✔ मुश्किलें सिर्फ़ आपकी परीक्षा लेती हैं, लेकिन हार तय नहीं करती।
✔ सपनों को पूरा करने के लिए साहस और मेहनत ज़रूरी है।
✔ शिक्षा किसी को भी आगे बढ़ने का मौका देती है, बस आपको उसे पकड़ना आना चाहिए।

उम्मुल की कहानी हमें यही सिखाती है कि “अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती!”तो अगली बार जब हालात मुश्किल लगें, उम्मुल खेर की कहानी को याद कीजिए और बिना रुके अपनी राह पर चलते रहिए। सफलता एक दिन ज़रूर मिलेगी।

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abdullah

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